देहरादून: भारत ही नहीं, दुनिया भर में होली की धूम मची हुई है। हर कोई अपने-अपने तरीके से इस त्योहार की तैयारी कर रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में होली का उत्सव तीन महीने तक चलता है? जी हां, उत्तराखंड में पूस (दिसंबर) के महीने से होली की शुरुआत हो जाती है और होलिका दहन के बाद भी यह उत्सव जारी रहता है।
उत्तराखंड की होली की खासियतें:
* लंबा उत्सव:
* उत्तराखंड में होली का उत्सव लगभग तीन महीने तक चलता है, जो इसे दुनिया के सबसे लंबे होली उत्सवों में से एक बनाता है।
* विविधता:
* उत्तराखंड में होली के चार मुख्य प्रकार हैं: बैठकी होली, खड़ी होली, महिला होली और स्वांग।
* परंपरा:
* उत्तराखंड की होली अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जानी जाती है, जैसे कि चीर बंधन।
* सामुदायिक भावना:
* उत्तराखंड की होली सामुदायिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
* बैठकी होली:
* यह होली नगर क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय है, जहां लोग ढोलक और मजीरा के साथ बैठकर होली के गीत गाते हैं।
* खड़ी होली:
* यह होली गांवों में खेली जाती है, जहां लोग ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं और होली के गीत गाते हैं।
* महिला होली:
* यह होली महिलाओं द्वारा खेली जाती है, जिसमें वे गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से होली का जश्न मनाती हैं।
* स्वांग:
* इसमें महिलाएं होली गायन, नृत्य, गीत, संगीत के साथ ही स्वांग भी रचती हैं और वर्षभर घर गृहस्थी से होने वाली परेशानियों को हास्यास्पद रूप से प्रकट करती हैं।
चीर बंधन:
* यह उत्तराखंड की होली की एक अनूठी परंपरा है, जिसमें होली से पहले एकादशी के दिन गांव के सभी घरों से कपड़े के टुकड़े बांधे जाते हैं।
* यह चीर पूरे गांव में घुमाई जाती है, जो सामुदायिक एकता का प्रतीक है।
* होलिका दहन के बाद, यह चीर प्रसाद के रूप में प्रत्येक परिवार को दी जाती है।
उत्तराखंड की होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और सामुदायिक भावना का भी प्रतीक है।