*सनातन धर्म के उत्थान मे उनका सदैव योगदान स्मरणीय रहेगा -कैलाशानंद जी महाराज*
*ब्रह्मलीन महंत नरेंद्र गिरी महाराज त्यागऔर तपस्या की प्रतिमूर्ति थे -म.रविंद्र पुरी महाराज *
* वे भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की रीड थे- म. ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी*
*तेहरा अखाड़ों में समन्वय स्थापित कर समाज को नई दिशा देने वाले संत थे -स्वामी बालकानंद*
*वे दिव्य महापुरुष दूरगामी सोच और कुशल व्यक्तित्व के धनी थे- महंत राजेंद्र दास*
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के आकस्मिक निधन पर हरिद्वार के संत समाज ने गहरा शोक व्यक्त किया है। निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी सहित तमाम संतों ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन को अखाड़े व संपूर्ण संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद पर रहते हुए समाज का मार्गदर्शन करने वाले श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज का सनातन धर्म के उत्थान में योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके आकस्मिक निधन से निरंजनी अखाड़े व संत समाज को जो अपूर्णीय क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि धर्म संस्कृति के लिए जीवन समर्पित कर सभी 13 अखाड़ों में समन्वय स्थापित कर समाज को नई दिशा देने वाले ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज का निधन संपूर्ण भारत के लिए अपूरणीय क्षति है। मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनके निधन से अखाड़े व संत समाज को गहरा आघात लगा है। श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि ब्रहमलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने धर्म प्रचार व हिंदू संस्कृति के प्रचार प्रसार तथा संरक्षण में अहम योगदान किया। उन्होंने सदैव ही भावी पीढ़ी को संस्कारवान होने की शिक्षा दी और धर्म के संरक्षण संवर्धन के लिए प्रेरित किया। ऐसे महापुरुष को संत समाज सदैव स्मरण करता रहेगा। अखिल भारतीय श्री पंच निर्माेही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज एक दिव्य महापुरुष एवं दूरगामी सोच और कुशल व्यक्तित्व के धनी थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत अखाड़ों की परंपराओं का निर्वहन करते हुए अखाड़ा परिषद को एक नई पहचान दी और कई कुंभ मेले उनके नेतृत्व में सकुशल संपन्न हुए। ऐसे महापुरुष का असमय चले जाना बेहद दुखद है। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की रीढ़ थे। जिनके आकस्मिक निधन से सनातन संस्कृति का अत्याधिक ह्रास हुआ है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि धर्म एवं संस्कृति के क्षेत्र में उनका अतुल्य योगदान युवा पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देता रहेगा और उनका निर्मल जल के समान सादगी पूर्ण जीवन सभी को प्रेरित करता रहेगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगरी महाराज, जूना अखाड़े के श्रीमहंत प्रेमगिरी, श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े के श्रीमहंत रामकिशोर दास महाराज, आह्वान अखाड़े के महंत शिवशंकर गिरी, निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज, संत सुखदेव सिंह नामधारी, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत सुखदेव दास, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महामण्डलेश्वर स्वामी भगवतस्वरूप, महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, श्रीमहंत साधनानंद, श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती, महंत गिरिजानंद सरस्वती आदि सहित तमाम संतंों ने श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।