हरिद्वार में 2027 के अर्ध कुंभ मेले को कुंभ की तरह मनाने के विवाद को लेकर साधु-संतों में जबरदस्त रार चल रही है।
विवाद की जड़
- स्वामी रूपेंद्र प्रकाश (श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के महामंडलेश्वर) ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के अस्तित्व पर सवाल उठाए हैं और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी तथा महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि पर फर्जी होने का आरोप लगाया।
- उनके इस बयान का समर्थन उदासीन अखाड़े के दो अन्य पदाधिकारियों ने भी किया, जिससे अखाड़े के भीतर ही विवाद खड़ा हो गया।
उदासीन अखाड़े में गुटबाजी
- स्वामी रूपेंद्र प्रकाश और उनके समर्थकों के खिलाफ अखाड़े की ‘पश्चिम पंगत’ से निकाले गए महंत रघु मुनि, महंत अग्रदास, और महंत दामोदरदास के समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया है।
- स्वामी नागेंद्र महाराज (उदासीन संप्रदाय से जुड़े संत) ने रूपेंद्र प्रकाश के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब प्रयागराज कुंभ में रघु मुनि और अन्य महंतों को बाहर निकालना था, तब अखाड़ा परिषद फर्जी नहीं था। उन्होंने रूपेंद्र प्रकाश पर स्वार्थी होने का आरोप लगाया।
कानूनी नोटिस और वापसी की मांग
- वरिष्ठ वकील अरुण भदौरिया ने महंत रघु मुनि और उनके साथियों को न्याय दिलाने के लिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को कानूनी नोटिस भेजा है।
- स्वामी नागेंद्र महाराज ने मांग की है कि यदि अखाड़ा परिषद फर्जी है, तो महंत रघु मुनि और उनके साथियों पर की गई कार्रवाई भी फर्जी है, इसलिए उन्हें सम्मानजनक तरीके से अखाड़े में वापस लिया जाए।
अखाड़ा परिषद का जवाब
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने स्वामी रूपेंद्र प्रकाश के बयान का कड़ा जवाब देते हुए उन्हें राजनीति करने और प्रतिष्ठित संस्था को बदनाम न करने की सलाह दी है।
- उन्होंने कहा कि अर्ध कुंभ को कुंभ बनाने का निर्णय राज्य सरकार का है और इसका स्वागत होना चाहिए। उन्होंने रूपेंद्र प्रकाश को परंपराओं को समझने की बात कही, क्योंकि कुंभ की व्यवस्थाएं अखाड़े के सचिव देखते हैं, महामंडलेश्वर नहीं।
मुख्यमंत्री की बैठक
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 28 नवंबर को हरिद्वार के डाम कोठी में सभी 13 अखाड़ों के महंतों और पदाधिकारियों के साथ 2027 के अर्ध कुंभ को भव्य रूप से मनाने के संबंध में बैठक करेंगे।
- मेला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस बैठक में केवल 13 अखाड़ों के पदाधिकारी ही भाग लेंगे, जिससे महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश का बैठक में शामिल होने का सपना टूट गया है।











