वित्तीय अनियमितता का भी आरोप
आईएसबीटी से अजबपुर रेलवे क्रॉसिंग तक सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। चौड़ीकरण में काम करने वाली फर्म ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर काम हासिल किया। वित्तीय अनियमितता और बिना सत्यापन काम कराने के आरोप में सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर(एसई) रणजीत सिंह और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर(एक्सीईएन) ओम पाल सिंह हो तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है।
अनुमानित लागत से 23.66 प्रतिशत कम 25 करोड़ 90 लाख रुपये में टेंडर डाला
दरअसल, चौड़ीकरण के इस काम के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से इसी साल 25 फरवरी को 42 करोड़ 55 लाख 84 हजार रुपये स्वीकृत हुए। इससे आईएसबीटी से अजबपुर रेलवे क्रॉसिंग तक चौड़ीकरण का काम होना था। विभाग ने इसके लिए 26 मार्च को टेंडर निकाले। 11 मई को टेंडर खुले तो दिल्ली की मैसर्स राकेश कुमार एंड कंपनी ने अनुमानित लागत से 23.66 प्रतिशत कम 25 करोड़ 90 लाख रुपये में टेंडर डाला।
सबसे कम होने के नाते इस कंपनी को ही काम दे दिया गया। इसके बाद कंपनी को तीन जुलाई को लैटर ऑफ एक्सेप्टेंस(स्वीकृति पत्र) पीडब्ल्यूडी की ओर से दे दिया गया। इसके लिए सात अगस्त को कंपनी ने मुंबई के बैंक की 77 लाख 70 हजार बैंक गारंटी का प्रमाण जमा कराया। पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डोईवाला को यह बैंक गारंटी दी गई। बैंक गारंटी की पुष्टि किए बिना ही नौ अगस्त को फर्म को कार्य प्रारंभ होने और पूर्ण होने की तिथि से अवगत करा दिया गया।
इस बीच तत्कालीन दोनों इंजीनियरों एसई रणजीत सिंह और ईई ओम पाल सिंह का तबादला हो गया। उनकी जगह इन पदों पर आए दूसरे इंजीनियरों ने जब बैंक गारंटी के परीक्षण की रिपोर्ट देखी तो वह नदारद थी। जांच करने पर पता चला कि यह बैंक गांरटी गलत है। इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी गई तो उन्होंने इसकी प्राथमिक जांच कराई।
जांच में यह स्पष्ट हो गया कि फर्म ने फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई है। इसी जांच के आधार पर शासन ने बैंक गारंटी परीक्षण में लापरवाही और वित्तीय अनियमितता के आरोप में एसई रणजीत सिंह और ईई ओम पाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जा रही है(GS)