जेपीसी ही मोदानी महाघोटाले की वास्तविक जांच और खुलासा कर सकती है-सुरेन्द्र राजपूत

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कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री पर मित्रों के व्यवसाय को बचाने के लिए सेबी जैसी संस्थाओं के दुरूप्रयोग का लगाया आरोप

देहरादून:  शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय देहरादून मे पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपने पूंजीपति साथियों पर देश की जनता की कमाई लुटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मित्रों के व्यवसाय को बचाने के लिए सेबी जैसी संस्थाओं का दुरूपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके 1दोस्त,अडानी ने मेगा अडानी घोटाले से खुद को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की! अडानी मेगा घोटाले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा संयुक्त संसदीय समिति जेपीसी जांच की मांग हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों द्वारा किए गए खुलासे से कहीं आगे जाती है। अडानी समूह से संबंधित घोटाले और घपले राजनीतिक अर्थव्यवस्था के हर आयाम में फैले हुए हैं। बंदरगाहों,हवाई अड्डों,सीमेंट और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अडानी के एकाधिकार को सुरक्षित करने के लिए भारत की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग। सरकारी बैंकों और संस्थाओं,खास तौर पर एसबीआई और एलआईसी द्वारा अडानी के शेयर खरीदने में दिखाया गया असाधारण पक्षपात खुलेआम सामने आया। उन्होंने मुंद्रा में अडानी कॉपर प्लांट,नवी मुंबई में एयरपोर्ट और यूपी-एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट समेत प्रमुख परियोजनाओं को भी ऋण दिया। अडानी एंटरप्राइजेज एफपीओ में प्रमुख निवेशकों में एलआईसी (जिसने 299 करोड़ की बोली लगाई), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एम्प्लाइज पेंशन फंड (299 करोड़ की बोली लगाई) और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (125 करोड़ की बोली लगाई) शामिल थे। एलआईसी और एसबीआई ने एफपीओ में इस तथ्य के बावजूद भाग लिया कि बाजार मूल्य निर्गम मूल्य से काफी नीचे गिर गया था और पहले से ही अडानी समूह की बड़ी हिस्सेदारी उनके पास थी। क्या एलआईसी और एसबीआई को करोड़ों भारतीयों की बचत को एक बार फिर अडानी समूह को बचाने के लिए इस्तेमाल करने के निर्देश जारी किए गए थे?सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बचाना एक बात है और 30करोड़ वफादार पॉलिसी धारकों की बचत का इस्तेमाल अपने दोस्तों को अमीर बनाने के लिए करना दूसरी बात है, सेबी ने जोखिम भरे अडानी समूह को इतना बड़ा आवंटन कैसे किया,जिससे निजी फंड मैनेजर भी दूर रहे?क्या यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि वह सुनिश्चित करे कि सार्वजनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान अपने निवेश में निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में अधिक हों हिंडनबर्ग के आरोपों में उपरोक्त में से किसी का भी उल्लेख नहीं है। इसके आरोप पूंजी बाजार से जुड़े लोगों तक ही सीमित हैं-शेयर हेरफेर,अकाउंटिंग धोखाधड़ी,और सेबी जैसी नियामक एजेंसियों में हितों का टकराव। हिंडनबर्ग तो बस हिमशैल का सिरा है। केवल एक जेपीसी ही इस मोदानी महाघोटाले की वास्तविक और पूरी हद तक जांच और खुलासा कर सकती है। सेबी की देरी और समझौतापूर्ण कार्रवाइयों ने इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और करोड़ों छोटे निवेशकों को जोखिम में डाल दिया है। भारत के उपराष्ट्रपति ने हिंडनबर्ग के बारे में बात करके कांग्रेस पर हमारे बाजारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया। क्या वह सुप्रीम कोर्ट पर हमारे बाजारों को अस्थिर करने का आरोप लगा रहे हैं? यह सुप्रीम कोर्ट ही है जिसने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सेबी को 24 वित्तीय अनियमितताओं की जांच पूरी करने का निर्देश दिया। पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा,प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि,प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ,महामंत्री नवीन जोशी,प्रवक्ता डॉ.प्रतिमा सिंह,शीशपाल सिंह बिष्ट,सोशल मीडिया प्रभारी अमरजीत सिंह आदि उपस्थित थे।